कायमखानी वंश का इतिहास एवं संस्कृति : प्रस्तुत कृति ‘कायमखानी वंश का इतिहास’ एक ऐतिहासिक ग्रन्थ है, जिसमें कायमखानियों की उत्पत्ति, विकास एवं विस्तार की कथा समाहित है। इस्लाम धर्म स्वीकार करने के पूर्व कायमखानियों का मूल प्रवत्र्तक कायमखां चौहान राजपूत था। फिरोज तुगलक के काल में धर्म परिवर्तन कर कायमखां ने कायमखानी वंश की नींव डाली। इसकी संतान कायमखानी कहलायी।
कायमखानी कौम में हिन्दू संस्कार प्रबल रहे। आगे चलकर मुस्लिम रीति-रिवाजों का इनमें प्रचलन हुआ। यह कौम अपनी बहादुरी और वीरता के लिये भारतीय सेना में एक सविशेष महत्त्व रखती है। धार्मिक कट्टरता से यह कौम दूर है तथा धर्म निरपेक्षता या सर्व-धर्म समादर की भावना से भावित है।
प्रस्तुत कृति में इनके राजनीति, इतिहास, समाज एवं संस्कृति, कला-कौशल आदि पर सम्यक् प्रकाश डाला गया है। साथ ही इस वंश के साहित्यकारों के साहित्यिक अवदान की चर्चा की गयी है।
झूंझुनू एवं फतेहपुर के कायमखानी नवाबों के सत्ता संघर्ष की चर्चा के साथ-साथ प्रस्तुत कृति तत्कालीन राजनैतिक स्थिति पर प्रकाश डालती है। विसंगत राजनैतिक अवधारणाओं को निरस्त कर ठोस आधार पर इस वंश के वृत्त को पाठकों के सम्मुख रखने का यह प्रयास है, जो संभवतया उन्हें रुचेगा।
Kayamkhani Vansh ka Itihas evam Sanskriti
कायमखानी वंश का इतिहास एवं संस्कृति
Author : Dr. Ratanlal Mishra
Language : Hindi
ISBN : N/A
Edition : 2019
Publisher : RG GROUP
Original price was: ₹400.00.₹319.00Current price is: ₹319.00.
कृष्ण सिंह चौहान –
कायमखनियो का इतिहास पढ़ना है।