राजस्थान के जाटों का इतिहास
जाटों का गौरवमय व गरिमामय इतिहास रहा है, परन्तु उसे लेखनीबद्ध नहीं करने के कारण हमें उनके बारे में न्यूनतम जानकारी ही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने ‘जाटों का प्रामाणिक इतिहास’ लिखने का प्रयास किया है। इसमें इतिहास के उन पहलुओं को उजागर किया है, जिस पर जाट कौम गर्व कर सकती है। Rajasthan Ke Jaaton Ka Itihas & Jaaton Ki Gaurav Gatha
such as जाट कौम ने ही विदेशी आक्रमणकारी महमूद गजनवी व मुहम्मद गौरी की प्रतिष्ठा को धूल में मिलाया था। इसी तरह लोकदेवता के रूप में जहां तेजाजी व बिग्गाजी ने समाज में एक विशेष स्थान बनाया है, वहीं संत शिरोमणि फूलीबाई ने भक्ति मार्ग द्वारा लोगों को मुक्ति का मार्ग बताया है। भक्त शिरोमणि रानाबाई तो वृन्दावन जाकर स्वयं भगवान गोपीनाथ को राधा सहित अपने गांव हरनावां ही ले आई थी, वहीं वात्सल्य भक्ति की प्रतिमूर्ति करमाबाई ने तो अपनी भक्ति से साक्षात् भगवान को अपने खीचड़े का भोग लगाने को विवश कर दिया था और धन्ना भक्त ने तो अपनी भक्ति के प्रताप से बिना बोये ही खेत में अन्न उपजा दिया था।
जाटों की गौरवगाथा
जाटों का गौरवमय व गरिमामण्डित इतिहास रहा है, but उसे लेखनीबद्ध नहीं करने के कारण हमें उनके बारे में न्यूनतम जानकारी ही है। यह सत्य है कि जिस कौम का इतिहास नहीं होता, वह कौम मृतप्रायः है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने जाट कौम के उन महापुरूषों, भक्तों, शिक्षाविदों, राजनीतिज्ञों, समाज सेवकों को इस पुस्तक में स्थान दिया है, जिन्होने अपने क्षेत्र में कौम व समाज की महान् सेवा की है।
also इससे जहां इतिहासकार के रूप में ठाकुर देशराज को स्थान दिया गया है, वहां दानदाता के रूप में प्रोफेसर घासीराम, शिक्षाविद् के रूप में स्वामी केशवानन्द, राजनीतिज्ञ के रूप में चौधरी कुम्भाराम आर्य, भक्तों में महान भक्त धन्ना व रानाबाई व लोकदेवता के रूप में वीर तेजाजी का वर्णन किया गया है। इस पुस्तक से जहां जाट कौम के लोगों को अपने पूर्वजों के कृत्यों पर गौरव करने का मौका मिलेगा, वहीं समाजसेवा के क्षेत्र में कुछ कर गुजरने वाले समाजसेवकों को भी प्रेरणा मिलेगी।
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