भारतीय संगीत के पुरोधा पं. बी. एन. क्षीरसागर : ग्वालियर घराने के वरिष्ठ गायक पं. क्षीरसागर के संघर्षमय सांगीतिक जीवन की यह कथा अपेक्षा और याचना से दूर रहे स्वाभिमानी समर्पित स्वर साधक के द्वारा अपने बूते से प्राप्त किये गये यश की गाथा है। इस गाथा के स्वर उनकी गुरु निष्ठा, पुराने गायकों की तरह 16 घंटों का रियाज और आठ-आठ घंटे की महफिलों, घंटों चलने वाली उनकी रियाज की बैठकों, सम्मेलनों में उनको मिली निर्व्याज प्रशंसा को, गाते हुए प्रतीत होंगे।
स्वयं घोर कष्टों से अर्जित विद्या सत्पात्र को देने में मुक्त हस्त रहना, घरानेदार तालीम के प्रति आग्रहशील परंतु प्रस्तुति के समय रूढ़िवादी न रहना उनकी ऐसी विशेषताएँ थीं जो शिष्यों के संस्मरणों से भी उजागर होती हैं। उनका सरल किंतु स्वाभिमानी स्वभाव, मन की उदारता और स्नेह तथा सामाजिक संपर्क बनाए रखने की रुचि, उनके जीवन की चर्चा में परिलक्षित होती है।
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