कोटा के किशोर सिंहोत हाडा ठिकाने का इतिहास : श्री गजेन्द्रसिंह यादव की कृति कोटा के किशोरसिंहोत हाड़ाओं के ठिकानों का इतिहास उसी खाँप के सभी ठिकानों का विस्तृत, प्रामाणिक प्रथम इतिहास है। यह माना कि राजा स्वयं कुल का मुखिया होने से महत्वपूर्ण होता था। शक्ति और सम्मान का केन्द्र बिन्दु होता था। किन्तु यह भी सच है कि राजा यदि वृक्ष का तना था तो उस के वंशज भाई उस वृक्ष की सबल शाखाएँ, टहनियाँ फल-फूल होते थे। भला कौनसा वृक्ष केवल तने के गर्व-गुमेज पर वृक्ष कहा जा सकता है, वह कोरा ठूँठ होता छतनार वृक्ष नहीं। इसी कारण कोटा की इस राजवी (राजवंशी) खांप का अपना महत्व था। श्री यादव ने अपनी श्रम साध्य शोध से उन सभी प्रसंगों पर प्रकाश डाला है, जिससे उसके भाइयों में से राजा बना पाता था और राजा राजा रह पाता था। यह पुस्तक केवल वंशावली या बड़वा-भाटों की अतिरंजनापूर्ण विरूदावली नहीं है। यह शासकीय भवन के स्वामी भक्ति, त्याग, सौहार्द, स्वाभिमान और आत्म बलिदान जैसे सुदृढ़ स्तम्भों का विवरण भी है, तो उत्थान पतन का लेखा भी है।
Kota ke Kishore Singhot Hada Thikane ka Itihas
कोटा के किशोर सिंहोत हाडा ठिकाने का इतिहास
Author : Gajendra Singh Yadav
Language : Hindi
ISBN : 9789385593307
Edition : 2015
Publisher : RG GROUP
₹400.00
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