Mahabharat Mein Ashva Mimansa

महाभारत में अश्व मीमांसा
Author : Nirmala Upadhyaya
Language : Hindi
Edition : 2015
ISBN : 9788186103065
Publisher : RG GROUP

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महाभारत में अश्व मीमांसा : प्राचीन काल में अश्व मानव के सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन का महत्वपूर्ण अंग रहा है। वेद, ब्राह्मणग्रन्थ, उपनिषद, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, स्मृतियों, पुराणों, महाकाव्य आदि ग्रन्थों में अश्व सम्बन्धी सामग्री प्राप्त होती है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र तथा शुक्रनीति में अश्वों के लक्षणों, जाति, वर्ण आदि की विशद व्याख्या की गई है। वराहमिहिर की बृहत्संहिता, अपराजितपृच्छा, कामन्दकनीति, नीतिवाक्यामृत आदि ग्रन्थों में प्रासंगिक रूप से अश्व-विवेचन है। इन ग्रन्थों के समान महाभारत में अश्वों से सम्बन्धित कोई अलग अध्याय नहीं है, परन्तु महाभारत के लगभग सभी पर्यों में अश्वविषयक विषयवस्तु की प्रचुरता है।

डॉ. संदीप जोशी द्वारा सम्पादित तथा जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय, जयपुर द्वारा सन् 2008 में प्रकाशित अश्वशास्त्रम् में अश्वों के विविध पक्षों का विस्तृत विवेचन किया गया है। अश्वों के अष्टविध लक्षण कहे गये है, आवर्त, वर्ण (रंग) सत्व (बल), छाया, गन्ध, चाल, स्वर तथा शरीर महाभारत में अश्वों के अष्टविध लक्षणों का आलेखन हुआ है।

भारतीय संस्कृति में अश्व-पूजा का विशेष महत्व रहा है। अश्वों में देवों का निवास कहा गया हैं श्रीमद्भगवद्गीता में उच्चैःश्रवा अश्व की ईश्वर की विभूति में गणना की गई है।

महाभारत अनेक युद्धों का लेखा-जोखा प्रस्तुत करता है। चतुरंगिणी सेना में अश्वसेना का विशेष महत्व था। स्थारूढ़ योद्धाओं की रक्षापंक्ति के रूप में अश्वसेना ने अपनी विशेष भूमिका निभायी है। सोमेदेवसूरी के नीतिवाक्यामृत में कहा गया है कि अश्वसेना, सेना की चलती फिरती रक्षापंक्ति (प्राचीर) है – अश्वबल सैन्यस्य जगम : प्राकार :। अश्वशास्त्रम् यह प्रतिपादित करता है कि अश्वहीन सेना जड़ से कटे हुए वृक्ष के समान नष्ट हो जाती है – अविहीनं यान्त्यन्तं छिन्नमूला इव द्रुमाः।

सैन्य संगठन की इकाइयों के विषय में महाभारत विशिष्ट जानकारी प्रदान करता है। इन्द्रियों को अश्व की संज्ञा तथा शरीर-रथ रूपक अध्यात्म चिन्तन का निर्देश देता है।

“महाभारत में अश्व मीमांसा” पुस्तक में लेखिका ने अपने गहन अध्ययन का परिचय दिया है। अश्व शब्द की व्यापकता की चर्चा उल्लेखनीय है। आशा है अश्वविषयक चर्चा – विचारणा, लेखन आदि क्षेत्रों में यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी तथा शोध के नये आयाम प्रस्तुत करेगी।

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