श्री करणी माता का इतिहास
प्रस्तुत पुस्तक में करणी माता से जुड़ी राजनीतिक एवं धार्मिक घटनाओं से अधिक उनकी मानवतावादी दृष्टिकोण, गौ रक्षा संस्कृति, मातृभूमि प्रेम, सर्वधर्म समभाव, नारी उत्थान एवं पर्यावरण संरक्षण आदि के क्षेत्र में उनका अतुलनीय योगदान, करणी माता से जुड़ी सभी घटनाओं के साथ-साथ इतिहास के पन्नों में छिपी उनकी शिक्षाओं एवं संदेशों आदि को नए रूप में प्रस्तुत किया। जिसके कारण करणी माता लोक देवी के रूप में प्रतिस्थापित हुई। Shri Karni Mata Itihas
लोक देवी करणी माता (Shri Karni Mata Itihas)
surely धार्मिक मान्यता है कि जहां यह मंदिर है वहां लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पहले माता करणी गुफा में रहकर अपने इष्ट देव की पूजा करती थीं। यह प्राचीन गुफा आज भी यहां स्थित है। कहा जाता है, मां की इच्छा से ही इस गुफा में माता करणी की मूर्ति स्थापित की गई थी।
कुछ लोगों का मानना है कि आज का बीकानेर व जोधपुर मां के आशीर्वाद से ही अपने अस्तित्व में आए। माता का मंदिर संगमरमर से बना हुआ है, जिसके मुख्य दरवाजें को पार करते ही यहां के चूहों की धमाचौकड़ी शूरू हो जाती है। संगमरमर के बने होने के कारण यह मंदिर काफी सुंदर व भव्य नजर आता है। मंदिर की दीवारों पर की गई आकर्षक नक्काशी इसे खास बनाती हैं।
दीवारों, दरवाजों व खिड़कियों पर की गई बारीक कारगीरी किसी का भी ध्यान खींच सकती हैं। आप यहां धार्मिक गतिविधियों के अलावा यहां की वास्तुकला को देख सकते हैं। also इस मंदिर का दरवाजा चांदी का और छत सोने से बनाई गई हैं। करणी देवी मंदिर का निर्माण 20वी शताब्दी में बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था। माता करणी बीकानेर राजघराने की कुलदेवी हैं।
accordingly कहा जाता है कि शादी के एक समय बाद माता करणी का सांसारिक जीवन से मन ऊब गया, जिसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन भक्ति और सामाजिक सेवा में लगा दिया। जानकारों का मानना है कि माता करणी 151 साल तक जीवित रहीं, और ज्योतिर्लिंग में परिवर्तित हो गईं। Shri Karni Mata Itihas
click >> अन्य सम्बन्धित पुस्तकें
click >> YouTube कहानियाँ
Reviews
There are no reviews yet.