गिरधर अनुरागी मीरा : विश्व विख्यात भक्त शिरोमणि मीराबाई के जन्म के पांच सौ वर्ष सम्पूर्ण होने पर उनकी अपने सांवरिया गिरधर नागर के प्रति एकनिष्ठ भक्ति-साधना, भक्ति काव्य तथा सम्पूर्ण मानवता को उनके योगदान का मूल्यांकन करने हेतु मीरा के पीहर जोधपुर में सन् 2001 में चार दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मीरा संगोष्ठी का आयोजन हुआ था। इस अन्तर्राष्ट्रीय मीरा संगोष्ठी में देश-विदेश के विद्वानों ने जो विद्वत्तापूर्वक शोध-पत्र प्रस्तुत किये थे, उन्हें इस ग्रन्थ में प्रकाशित किया गया है। इन अनुसंधान परक आलेखों के विविध विषय हैं, जैसे – साहित्य, धर्म, दर्शन, इतिहास, समाज विज्ञान, संगीत, मनोविज्ञान आदि। मीराबाई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को दृष्टि में रखकर नारी की शक्ति, भक्ति एवं सामाजिक तथा राष्ट्रीय योगदान पर चिंतन, मनन एवं विमर्श इन शोध-पत्रों का आधार बना है। मीराबाई सम्पूर्ण भारतीय जन की आस्था एवं श्रद्धा की प्रतीक है। मीरा सम्पूर्ण नारी समाज का गौरव है। मीरां पावन गंगा के समान है। मीरा वेदना की प्रतिमूर्ती तथा लोक कल्याण की सर्वोच्च भावनाओं से ओतप्रोत है। आज सम्पूर्ण विश्व उनके सम्बन्ध में जानना चाहता है। यह ग्रन्थ उसी जिज्ञासा को शांत करने का एक प्रयास है।
भारत तथा विश्व के अनेक प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में मीराबाई के जीवनवृत्त, भक्ति साधना, भक्ति काव्य, मीरा की प्रासंगिकता, मीरा का सम्पूर्ण मानवता को योगदान, नारी चेतना और मीरा आदि विषयों पर अनुसंधान हुए हैं, हो रहे हैं तथा भविष्य में भी होंगे। जोधपुर में 2001 में आयोजित हुई प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के कारण मीराबाई के प्रति विश्व स्तर पर चेतना जागृत हुई है, जिसका प्रतिफल अमेरिका के प्रसिद्ध नगर लॉस एंजलिस में 2008 में सम्पन्न हुई, द्वितीय मीरा संगोष्ठी के रूप में प्राप्त हुआ। ऐसे अन्तर्राष्ट्रीय मीरा संगोष्ठियाँ विश्व भर में आयोजित हो, यह इस ग्रन्थ का सन्देश बने यही अभिलाषा है।
Girdhar Anuragi Meera
गिरधर अनुरागी मीरा
Author : Kalyan Singh Shekhawat, Mahendra Singh Nagar
Language : Hindi
ISBN : 9788186103007
Edition : 2015
Publisher : RG GROUP
₹450.00
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