मारवाड़ के स्वतंत्रता सेनानी राव चन्द्रसेन : भारतीय इतिहास में राजस्थान के शासकों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। विशेष रूप से मारवाड़ के शासकों के कार्यों ने मध्यकालीन इतिहास के पन्नों को गौरवान्वित किया है। जोधा राठौड़ के वंशज मालदेव के सुपुत्र ‘राव चन्द्रसेन’ ने अपने राज्य और कुल-मर्यादा की रक्षा के लिए विरोधी शक्तियों से निरंतर संघर्ष कर स्वाधीनता का मार्ग अंगीकार किया। इस स्वतंत्रवीर ने मुगल सम्राट अकबर को यह बतला दिया कि राजपूत अपनी आन-बान-शान के लिए प्राणोत्सर्ग कर सकते हैं, अपने उसूलों को नहीं। राव चन्द्रसेन स्वतंत्रता का प्रथम प्रेरणा-स्रोत था, जिसका अनुसरण बाद में मेवाड़ के महाराणा प्रताप ने किया।
प्रथम अध्याय राठौड़ों का संक्षिप्त इतिहास दिया गया, जिन्होंने मारवाड़ राज्य का विस्तार किया। द्वितीय अध्याय में राव चन्द्रसेन का राज्यारोहण एवं अकबर द्वारा मारवाड़ में हस्तक्षेप करने का उल्लेख किया गया है। तृतीय अध्याय में अकबर के राव चन्द्रसेन से सम्बन्ध को उजागर किया गया है, जिसका राव चन्द्रसेन द्वारा सतत विरोध किया गया। चतुर्थ अध्याय में राव चन्द्रसेन के पड़ौसी राज्यों के साथ सम्बन्धों को दर्शाया गया है, जिनका राजनीतिक दृष्टि से महत्त्व रहा था। पंचम अध्याय में राव चन्द्रसेन को समकालीन शासकों को अग्रणी दिखाने का प्रयास किया गया है। षष्ठम अध्याय में राव चन्द्रसेन के प्रशासनिक संगठन को बताया गया है, जिनमें विभिन्न पदाधिकारियों और राजस्व व्यवस्था का उल्लेख किया गया है। सप्तम अध्याय में गद्य-पद्य साहित्य में राव चन्द्रसेन के विवरण का उल्लेख किया गया है।
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