भर्तृहरि कृत – नीति शतक – यह नाम उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर अंचल के लोकजीवन में जितना रचा बसा है, उतना ही संस्कृतानुरागी जनों में सम्मानीय और प्रिय है। तीन शतकों के रचयिता भर्तृहरि का नीतिशतक अपनी सुबोध भाषा और हृदय ग्राह्य सूक्तियों के कारण सर्वश्रेष्ठ है। दैनन्दिन जीवन से जुड़े आचार-विचार, कर्त्तव्य-अकर्त्तव्य, परोपकार, सत्संगति, विद्या, भाग्य, आदि अनेकानेक विषयों पर भर्तृहरि की सूंक्तियां सर्वजन संवेद्य बन गई है। यथा –
विधिरहो बलवानिति…
न्यायात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः…
सेवाधर्मः परमगहनो…
सर्वे गुणोःकांचनमाश्रयन्ति…
नीतिशतक की इसी लोकप्रियता के कारण अनेकानेक संस्करणों के होते हुए सरल एवं सस्पष्ट अर्थ एवं व्याख्या युक्त यह पुस्तक पाठकों को समर्पित है।
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