VEERVAAN : Kavi Badardhadhi Krit

वीरवाण : कवि बादरढाढी कृत
Author : Bhur Singh Rathore, Jaswantsingh Jasol
Language : Hindi
ISBN : 9789384168476
Edition : 2016
Publisher : RG GROUP

400.00

वीरवाण : कवि बादरढाढी कृत : कवि बादर ढाढी कृत वीरवांण काव्य में 14वीं शती में घटित घटनाओं के विवरण 16वीं शती के अन्त में लिखा गया। लगभग दो शती या उससे अधिक काल तक यह श्रुतिनिष्ठ काव्य के रूप में चलता रहा। इसे पूर्ण तथा प्रामाणिक इतिहास नहीं माना जा सकता परन्तु कवि बादर ढाढी के इस काव्य में खेड़ के रावल मल्लीनाथ और उसके भतीजे गोगादे द्वारा किये गये युद्धों का विशेष ऐतिहासिक विवरण मिलता है। मल्लीनाथ के छोटे भाई और गोगादे के पिता वीरम का वृत्तान्त भी इसमें है। वीरम ने खेड़ से अलग जेहियावाटी में अपने स्वतंत्र राज्य की स्थापना की थी और अन्त में जोहियों के हाथों ही वह मारा गया था। उन सब के सम्बन्ध में तब प्रचलित सर्वमान्य जनश्रुतियों की जानकारी कवि बादर के काव्य में मिल जाती है। मल्लीनाथ और गोगादे मारवाड़ में लोकदेवता के रूप में मान्य थे अत: उनसे सम्बन्धित यह काव्य अनायास ही सर्वत्र प्रचलित होकर लोकमान्य हुआ।
सुयोग्य सम्पादक भूरसिंह राठौड़ ने कवि बादर ढाढी के काव्य के मूल पाठ के साथ पाठान्तर एवं शब्दार्थ भी दिये हैं, जिससे इस प्राचीन राजस्थानी काव्य को समझने में सहायता मिलती है। कवि बादर ढाढी जोहियों का सेवक था और अपने स्वामियों के कट्टर शत्रु तथा प्रबल विरोधी राठौड़ वीरों की मुक्त कण्ठ से सराहना की है। इस काव्य में उस काल के वीरों की गुणग्राहक उदार मनोवृत्ति का सच्चा प्रतिबिम्ब देखने को मिलता है। अतएव वीरवांण को राजस्थान की मध्यकालीन संस्कृति पर प्रकाश-डालने वाला एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज कह सकते है।

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