राजस्थान के प्रसिद्ध दोहे सोरठे
मारवाड़ की विख्यात ‘मांड’ राग दोहों में ही गाई जाती है। additionally राजस्थान का स्नेह, प्रेम, वीरत्व और वैराग्य इस छोटे से छन्द में केन्द्रित है। यह सुनते और सुनाते समय ऐसा अनुभव होता है, जैसा यह कोई मानवी रचना नहीं बल्कि निसर्ग की ही देन है। सिंह की गम्भीर गर्जना, हरी भरी उपत्यका और सुन्दर स्त्री की तरह दोहे-सोरठे की दिव्य वाणी भी नैसर्गिक सृष्टि ही जान पड़ती है। यह दो पंक्तियों का छन्द राजस्थान के तो हृदय और जीवन का ओजस्वी प्रतिनिधि है, इसलिए कवियों ने इनको इतना महत्व दिया है। Rajasthan Ke Dohe Sorthe (Famous Couplets of Rajasthan Sorathe)
Rajasthan Ke Dohe Sorthe (Famous Couplets of Rajasthan Sorathe)
भारत में राजस्थान रो जो महत्वपूर्ण स्थान है वस्यो ही स्थान भारतीय भासावां में राजस्थानी भाषा रो है। as well as राजस्थानी रा एक एक सबद रे लारे एक एक रणखेत बोले, पीढियां रो पराकरम झांके। राजस्थानी भासा राजस्थान री धरती अर इतिहास री तरै हीज सबळ नै क्षमतावान है। राजस्थान में ‘बात’ (कहानी) कहने की अपनी शैली है। वह शैली अनूठी है और परम्पराओं से परिपूर्ण है।
लिखण री गजब निकेवली आंट रै पांण आपरी कहाणियां रा पात्र साचलका लखावण लागै। रानी लक्ष्मीकुमारी चुण्डावत की कहानियों में जिस प्रकार राजस्थान की आत्मा का असली चित्र उभर कर सामने आता है उसी प्रकार उनके निबन्धों में राजस्थानी संस्कृति के हृदयस्पर्शी शब्द चित्र समाहित है। हमारे त्यौहार, रजवाड़ी गीत, बात और बात कहने की कला, सांस्कृतिक धरोहर, हमारे आमोद-प्रमोद, लोकगीत मानव जीवन में अमृत के समान तथा राजस्थान की समन्वित संस्कृति, निबन्ध नवीन शोध जैसे प्रभावशाली है। लक्ष्मीकुमारी चूण्डावत री कहाणियां री अेक खास घसक आ क उणां मे राजस्थान रै कण कण री आतमा पलका मारै।
surely रानी लक्ष्मी कुमारी चुण्डावत की ये पुस्तकें राजस्थान तथा राजस्थानी की कहानियाँ, कथाएँ, बातां, कला, संस्कृति व परम्परा को जानने का एक सुगम स्रोत हैं। Rajasthan Ke Dohe Sorthe (Famous Couplets of Rajasthan Sorathe)
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