बातां री फुलवाड़ी (भाग 7)
- कीं दोरौ ई विसवास व्हैला…
- मां रौ बदळौ-एक विवेचन
- गांव रा वासी
- जच्चा री पीड़
- जच्चा रौ मोद
- ठमक-ठमक पग धरै कन्हैया
- म्हैं नहिं माखन खायौ
- पूछत स्यांम कौन तू गौरी ?
- प्रीत न करियौ कोय !
- बिछोव रौ मोड़
- मोसा री मार
- धर कूचां, धर मजलां
- ठगां रौ गुड़ौ
- करंता सो भुगंता
और भी बहुत कुछ…
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