मेड़ता अंचल के सांस्कृतिक लोक गीत : लोक-गीतों में जनसाधारण के व्यवहार, क्रिया-कलापों एवं जीवन-मूल्यों की ललित-ललाम अभिव्यक्ति होती है। इस संकलन के सभी लोक-गीत, लोक-हृदय के उद्गार हैं। इनका हमारे जीवन से घनिष्ठ संबंध है। स्वर एवं शब्द की इनमें मनोरम मैत्री है, इसीलिये हमें ही नहीं किसी भी हिन्दी भाषी को अपने से लगते हैं। प्रस्तुत संकलन ‘मेड़ता अंचल के सांस्कृतिक लोक-गीत’ लोक-गीतों की संचित राशि की झांकी देने वाला वातायन है, जो खुलता है उस पुण्य स्थल पर जहाँ ज्योति धवल रश्मियाँ विकीर्ण हुई और सत्य, सौंदर्य एवं शिवत्व की अपनी प्रारंभिक अवस्था में मीरां बाई ने साधना की। अपने वक्तव्य में (प्रस्तुत संकलन के संदर्भ में) श्री राठौड़ ने संगृहीत लोक गीतों को सम्यक एवं विविध दृष्टियों से देखने की चेष्टा की है, जिससे लोकगीतों के सांगिक वृत्त का निरूपण संभव हुआ है। उन्होंने अनुवाद के साथ लाक्षणिक शब्दों और संदर्भों का विवेचन किया है। यह विवेचना उनकी रचनात्मक अभीप्सा-विवेचना किया है। यह विवेचना उनकी रचनात्मक अभीप्सा-वीप्सा का परिचायक है। मेरी विनम्र दृष्टि में इन लोक-गीतों से मेड़ता क्षेत्र की अस्मिता की प्रतीति होती है और एक व्यापक संदर्भ में हमें समग्र भारतीयता से युक्त होने का असर मिलता है।
Merta Anchal Ke Saanskrtik Lok Geet
मेड़ता अंचल के सांस्कृतिक लोक गीत
Author : Jaipal Singh Rathore
Language : Hindi
Edition : 1998
ISBN : N/A
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹95.00
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