राजस्थानी अभिलेखों एवं डिंगल साहित्य में मारवाड़ का राजनीतिक-सांस्कृतिक इतिहास : राजस्थान के इतिहास एवं साहित्य के उपलब्ध स्रोतों में सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत डिंगल और पिंगल साहित्य है। वैसे तो राजस्थानी भाषा में रचित ग्रन्थों का उल्लेख 8वीं शताब्दी से ही मिलता है, लेकिन डिंगल भाषा के साहित्य का चरमोत्कर्ष काल 15वीं से 19वीं शताब्दी के मध्य रहा है। राजस्थानी भाषा का काव्यगत रूप ही डिंगल और पिंगल है। विद्वान और शोधवेत्ताओं ने राजस्थानी भाषा के इस साहित्य सृजन को तीन शैलियों में लिखा गया बताया है- जैन शैली, चारण शैली और लौकिक शैली।
डिंगल साहित्य : राजस्थानी भाषा का अपना वृहद् कोश है, जिसमें राजस्थान की धरा में समाहित शताब्दियों के संस्कार, उसका संघर्षमय लोकजीवन और उसका गौरवपूर्ण इतिहास शामिल है। यह देश-प्रेम, गौरवमयी और स्वाधीनता के संदेशों में लबरेज है। इस साहित्य में रणक्षेत्र के लिए उतावले होते वीरों, स्वर्गारोहण के लिए अधीर होती वीरांगनगाओं और रणखेतों के भावमय चित्राम चित्रित है। डिंगल साहित्य उन लोगों का साहित्य है, जिन्होंने तलवारों की भीषण चोटें अपने सिरों पर झेली और रणक्षेत्रों में अपनी मातृभूमि के लिए प्राणों का बलिदान दिया।
डिंगल साहित्य समग्र रूप से राजस्थान और भारतीय संस्कृति के मध्यकालीन इतिहास का आधार स्तम्भ कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इसी साहित्य में विपुल रूप से इतिहास और साहित्य की रचनाओं का लेखन हुआ।
Rajasthani Abhilekhon evam Dingal Sahitya mein Marwar ka Rajnitik-Sanskritik Itihas
राजस्थानी अभिलेखों एवं डिंगल साहित्य में मारवाड़ का राजनीतिक-सांस्कृतिक इतिहास
Author : Dr. Mahendra Singh Tanwar
Language : Hindi
ISBN : 9789390179091
Edition : 2021
Publisher : RG GROUP
₹199.00
Reviews
There are no reviews yet.