Jaat Itihas

जाट इतिहास
Author : Th. Deshraj
Language : Hindi
ISBN : N/A
Edition : 2016
Publisher : RG GROUP

Original price was: ₹600.00.Current price is: ₹479.00.

जाट इतिहास

लेखक की मान्यता है कि काला सागर के समीप प्रथम मानव का उद्भव हुआ। प्राकृतिक प्रकोपों के कारण वहां से लोग इधर-उधर चले गए। एक समुदाय भारत की ओर भी आया, वह आर्यों के नाम से जाना गया। also कालान्तर में, भारतीय आर्य वर्ण एवं जातियों में विभाजित हो गए। जाटों का प्रादुर्भाव भी इसी वर्गकरण का प्रतिफल था। Jaat Itihas Deshraj

जाटों ने संघबद्ध जीवन पद्धति को बनाए रखा और धार्मिक-सामाजिक रूढ़ियों से मुक्त रहे। so फलतः पुरोहित तथा राजा के गठबंधन से उनको संघर्ष करना पड़ा। संघर्ष में उनकी जीतें भी हुई और हारें भी। विवशतावश, वे पुनः एशिया और यूरोप के देशों की ओर गए और बड़े राज्यों का ध्वन्स करके अपने उपनिवेश स्थापित किए। विरोधी परिस्थितियों के कारण वे फिर भारत की ओर आए और सिन्ध, पंजाब, मालवा, गुजरात और गंगा-यमुना के क्षेत्रों में बस गए। कालान्तर में उन्होंने हूणों को देश से बाहर भगाया और प्रायः प्रत्येक आक्रमणकारी का प्रतिरोध करके भारत की राजनीतिक स्थिति के निर्माण में योगदान दिया।

जाटों ने, ईसापूर्व से लेकर ईसा की अठारहवीं शती तक विदेशी आक्रमणकारियों के साथ इतनी तलवार बजाई कि उसकी समता भारतीय इतिहास में नहीं मिलती। वे लेखनी से अपना इतिहास लिखने की ओर से उदासीन रहे, अतः उनकी राष्ट्रीय एवं ऐतिहासिक महत्त्व की भूमिका अंधकार में पड़ गई।

Jaat Itihas Deshraj

surely यह इतिहास-ग्रंथ जाटों का ऐतिहासिक महत्त्व के राष्ट्रीय एवं सांस्कृतिक कार्यों पर प्रकाश डालता है। जाटों का गौरवमय व गरिमामय इतिहास रहा है, परन्तु उसे लेखनीबद्ध नहीं करने के कारण हमें उनके बारे में न्यूनतम जानकारी ही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने ‘जाटों का प्रामाणिक इतिहास’ लिखने का प्रयास किया है। इसमें इतिहास के उन पहलुओं को उजागर किया है, जिस पर जाट कौम गर्व कर सकती है। इस पुस्तक से जहां जाट कौम के लोगों को अपने पूर्वजों के कृत्यों पर गौरव करने का मौका मिलेगा, वहीं समाजसेवा के क्षेत्र में कुछ कर गुजरने वाले समाजसेवकों को भी प्रेरणा मिलेगी। Jat Itihas (Jat History)

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