श्री करणी माता का इतिहास
accordingly प्रस्तुत पुस्तक में करणी माता से जुड़ी राजनीतिक एवं धार्मिक घटनाओं से अधिक उनकी मानवतावादी दृष्टिकोण, गौ रक्षा संस्कृति, मातृभूमि प्रेम, सर्वधर्म समभाव, नारी उत्थान एवं पर्यावरण संरक्षण आदि के क्षेत्र में उनका अतुलनीय योगदान, करणी माता से जुड़ी सभी घटनाओं के साथ-साथ इतिहास के पन्नों में छिपी उनकी शिक्षाओं एवं संदेशों आदि को नए रूप में प्रस्तुत किया। जिसके कारण करणी माता लोक देवी के रूप में प्रतिस्थापित हुई। Karni Mata Awad Mata
surely धार्मिक मान्यता है कि जहां यह मंदिर है वहां लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पहले माता करणी गुफा में रहकर अपने इष्ट देव की पूजा करती थीं। यह प्राचीन गुफा आज भी यहां स्थित है। कहा जाता है, मां की इच्छा से ही इस गुफा में माता करणी की मूर्ति स्थापित की गई थी।
श्री आवड़ चरित्र
राजपूत युग के प्रारम्भ के साथ ही वि स 808 चैत्र सुदी नवमी मंगलवार के दिन मामडिया जी चारण के घर भगवती श्री आवड़ माता का जन्म हुआ जो इतिहास में बावन नामों से प्रसिद्ध हुई। उन्होंने जन्म से लेकर ज्योतिर्लीन होने तक अनेक परचे दिये, जिसके कारण उनकी प्रसिद्ध सम्पूर्ण भारत वर्ष में हुई।
उनके परचों व परवाडों पर ठा. मूलसिंह जी भाटी ने भगवती श्री आवड़ जी महाराज में बडे ही सुन्दर ढंग से प्रकाश डाला है, जिसका मैं श्री आवड़ चरित्र के नाम से सम्पादन कर रहा हूं। also भगवती श्री आवड़ माता का विराट व्यक्तिव था, जिसके कारण वे राजपूतों के सभी वंशों की कुल देवी या आराध्य देवी के रूप में प्रतिष्ठित हुई। उनके द्वारा हाकरा दरियाव का शोषण करना, सूरज को अपनी लोवड़ी की ओट में सोलह प्रहर तक रोकना, बावन देत्यों (हूणों) का संहार करना,भाटियों के राज्य को स्थायित्व देने में मदद करना आदि उनके प्रमुख परचे है।
Karni Mata Awad Mata
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