Veer Kesarisingh Rajpurohit ka Jasprakash

वीर केसरीसिंह राजपुरोहित का जसप्रकाश
Author : Prahlad Singh Rajpurohit (प्रह्लाद सिंह राजपुरोहित)
Language : Hindi
Publisher : RG GROUP

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वीर केसरीसिंह राजपुरोहित का जसप्रकाश : वीर केसरीसिंह राजपुरोहित अखेराजोत भी महापराक्रमी थे। इन्होंने अपने कंवरपदे में छोटी उम्र में भी संसार के युद्ध में भाग लिया था। राजनीति में इनका योगदान था। महाराजा जयसिंह के अत्यंत कठिन मामलों को सुलझाने हेतु केसरीसिंह को ही भेजते थे। इनका घराना, परिवार वीर वंश रहा है। इनके अग्रज सूरजमल, जयसिंह, महासिंह सभी मारवाड़ राज्य व राजघराने हेतु सदैव तन, मन, धन से सेवाएँ देने हेतु तत्पर रहे एवं इन्हें राज्य के चार स्तम्भ कहा जाता था। केसरीसिंह के महाराजा अभैसिंह व बखतसिंह में आपसी वातावरण को सौहार्द्रपूर्ण बनाने में उल्लेखनीय भूमिका रही। इन्हें पाण्डव अवतारी का खिताब दिया गया। महाराजा अजीतसिंह को कृष्ण अवतारी कहा गया। वीर केसरीसिंह युद्ध कौशल में अतयंत प्रवीण थें अहमदाबाद के युद्ध में इसने केसरीया कर चढ़ाई की थी। इस युद्ध में एक मोर्चा के प्रथारी थे। युद्ध आरम्भ से पूर्व महाराजा ने प्रमुख युद्ध प्रभारियों की बैठक में विजय हेतु योगदान जानना चाहा। सभी ने अपनी-अपनी घोषणाएँ की। वीर केसरीसिंह ने अपनी ओजस्वी वाणी में घोषणा की कि मेरा घराना सदा देशभक्त एवं स्वामीभक्त रहा है, जिस प्रकार महाराजा जसवंतसिंह के साथ धारमाट उज्जैन के युद्ध में पितामह दलपतसिंह ने वीरता दिखाई थी, मैं भी उसी प्रकार वीरता दिखाऊंगा एवं अपना बलिदान दूंगा। इसी प्रकार केसरीसिंह के भतीजे शुभकरण ने अपनी घोषणाओं से भी बढ़कर युद्ध कौशल दिखाया एवं इतिहास में अपना नाम अग्रणी वीरों में दर्ज कराया।

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