राजसिंह चरित्र : मुगल बादशाह औरंगजेब क्रूर निर्दय और कट्टर साम्प्रदायिक तो था, साथ ही अन्य मुगल शासकों की भांति अपने हरम में बेगमें रखने का शौकीन भी था। वह रूपनगर की राजकुमारी चारुमति के अद्भुत सौन्दर्य की चर्चा सुनकर चारुमति के साथ विवाह करने को लालायित हुआ। चारुमति ने पत्र लिखकर मेवाड़ के महाराणा राजसिंह को सूचित किया कि वह उसे अपना सर्वस्व चुन चुकी है। आपने समय पर आकर पाणिग्रहण नहीं किया तो मैं अपने प्राण त्याग दूंगी पर एक विधर्मी से विवाह नहीं करूंगी। एक क्षत्रिय नारी की करुण पुकार तथा क्षत्रिय धर्म की रक्षा के लिए महाराणा राजसिंह चारुमति से विवाह करने रूपनगर की ओर चल पड़ा। चूण्डावत सरदार के नेतृत्व में मेवाड़ी सेना औरंगजेब की शाही फीज को तब तक रोके रखा। जब तक महाराणा राजसिंह चारुमति से विवाह कर रूपनगर सकुशल (उदयपुर) लौट न आये। औरंगजेब को मन मसोस कर रहना पड़ा।
“इस घटना से औरंगजेब को मर्मान्तक चोट पहुँची, वह तिलमिला उठा। द्वेष हिंसा और क्रूरता के कारण उसकी आकृति भयंकर हो उठी, उसकी लाल-लाल आँखें मन्दिरों पर पड़ी; हिन्दू मन्दिरों की जड़े हिलने लगी। श्रीद्वारिकाधीशजी श्री गोवर्धननाथजी तथा श्रीनाथजी आदि की मूर्तियों का मेवाड़ में स्वागत हुआ। जब उसको इससे भी शान्ति नहीं मिली, तब राजसिंह के प्रबल विरोध करने पर भी अत्यन्त अपमान जनक हिन्दुओं पर ‘जजिया’ कर लगा दिया।
Rajsingh Charitra
राजसिंह चरित्र
Author : Kesari Singh Barahath
Language : Hindi
Edition : 2012
ISBN : 9788186103197
Publisher : RG GROUP
₹150.00
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