राजस्थान के कुछ अग्रणी इतिहासकार एवं उनका इतिहास दर्शन : इतिहास बड़ी उच्च श्रेणी का ज्ञान है, उसके अनेकों लाभ और उत्कृष्ट परिणाम है, अतः इतिहासकार के लिये आवश्यक है कि इतिहास के विभिन्न सूत्रों का पता लगाये तथा विभिन्न ज्ञान सूत्रों से उसका परिचय हो, इसके लिये इतिहासकार में कुशाग्र बुद्धि एवं गहन दृष्टि होना चाहिये, ताकि वह सत्य की खोज कर सके, त्रुटियों और भूलों से अपने आपको सुरक्षित रख सकें। स्वाभाविक नियमों, राजनीति के सिद्धांतों संस्कृति की विचारधाराओं एवं मानव समाज के संगठन पर दृष्टि न रखी जाय तो भूले होने, बहक जाने एवं सन्मार्ग से हट जाने की आशंका बनी रहती है। भारतीय इतिहास में राजस्थान का अपना विशेष महत्त्व है। भारतीय संस्कृति, शौर्य, साहित्य, कला के केन्द्र के इस क्षेत्र में अनेक इतिहासकार हुए जिनका इतिहास लेखन में योगदान अविस्मरणीय है। मुहणोत नैणसी, बांकीदास, दयालदास, सूर्यमल मिश्रण, मुंशी देवीप्रसाद, कविराज श्यामलदास, गौरीशंकर ओझा, पं. विश्वेश्वर नाथ रेऊ, रामकरण आसोपा, जगदीशसिंह गेहलोत, डॉ. दशरथ शर्मा आदि के व्यक्तित्व-कृतित्व तथा इतिहास दर्शन पर विस्तृत कार्य हो चुका है। परन्तु डॉ. देवीलाल पालीवाल, डॉ. के.एस. गुप्त, डॉ. हुकुमसिंह भाटी, डॉ. मनोहरसिंह राणावत पर अभी तक कोई कार्य नहीं हुआ। इन चारों इतिहासकारों की बौद्धिक क्षमता, इतिहास विषयक विद्वत्ता, इनका इतिहास दर्शन, इतिहास के साथ ही बौद्धिक समाज को इनकी देन, इनके समग्र व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तृत विश्लेषण इस ग्रंथ में करने का प्रयास किया गया है। आशा है इतिहासकारों के लिये यह उपयोगी तथा नव संशोधकों के लिये प्रेरणादायी रहेगा।
Rajasthan Ke Kuch Agrani Itihaskar Evam Unka Itihas Darshan
राजस्थान के कुछ अग्रणी इतिहासकार एवं उनका इतिहास दर्शन
Author : Neelam Aazad
Language : Hindi
Edition : 2015
ISBN : 9789384168674
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
₹319.00
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