गरीबों के मसीहा : डॉ. भीमराव अम्बेडकर : चन्दनमल नवल के अनुसार महात्मा गांधी जिन्हें हरिजन कहते थे, हम जिन्हें दलित के रूप में जानते हैं, उन्हें डॉ. अम्बेडकर ने भारतीय संविधान में अनुसूचित जाति के नाम से पहचाना है। यह वही ‘शुद्र’ हैं, जिनके लिए स्वामी स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि जब वह जागेंगे और आप हम (उच्च वर्ग) द्वारा अपने प्रति किए गए शोषण को समझेंगे, तो अपनी एक फूंक से आप सबको उड़ा देंगे। इसलिए सिन्धुघाटी में इन पीड़ित और वंचितों का स्वर्णिम इतिहास छिपा हुआ है और जिसे साहित्य, संस्कृति, कला, कृषि तथा कारोबार के समाज में चन्दनमल नवल जैसे होनहार अध्येता निरंतर खोज रहे हैं। मानवता और मानवाधिकार कापहल यक्ष प्रश्न शायद यहीं से शुरू होता है।
मैंने चन्दनमल नवल को बचपन से देखा है और पुलिस सेवा में भी उनके जातीय अलगाव को जाना है, इसलिए मैं कहता हूँ कि सामाजिक परिवर्तन की प्रत्येक नींव में राजाराम से लेकर अदृश्य चन्दनमल नवल जैसे अनेक सपूत आज भी जाग रहे हैं, लेकिन कौन जानता है कि जोधपुर के ऐतिहासिक मेहरानगढ़ में एक दलित राजाराम और उनके माता-पिता का बलिदान ही नींव का पत्थर बना था। चन्दनमल नवल इसलिए साहित्य और समाज के इतिहास में उस बौद्धिक षड़यन्त्र का पर्दाफास करते हैं कि मनुष्य का दर्द जब कभी भी अनदेखा होगा तथा समाज में विप्लव आएगा। चन्दनमल नवल सही रूप में एक समाज विज्ञानी है और वह विचार और व्यवस्था के अन्तर्विरोधों को सुधार की भाषा देते हैं। नवल के संघर्ष का यह आलम है कि खुद ही खोजते हैं और खुद ही लिखते हैं और खुद ही प्रकाशन करते हैं। कोई अकादमी उनको नहीं जानती क्योंकि समय का यथार्थ कहते हैं। साहित्य को पटल पर उनके शब्द एक सामाजिक न्याय और लोकतंत्र का चित्र बनाते हैं। अतः चन्दनमल नवल के सृजन और संघर्ष का हम आदर करते हैं और उनके आत्म गौरव को प्यार करते हैं।
Garibon Ke Masiha : Dr. Bhimrao Ambedkar
गरीबों के मसीहा : डॉ. भीमराव अम्बेडकर
Author : Chandanmal Naval
Language : Hindi
Edition : 2018
ISBN : 9789384406479
Publisher : RG GROUP
₹250.00
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