श्री करणी माता का इतिहास
प्रस्तुत पुस्तक में करणी माता से जुड़ी राजनीतिक एवं धार्मिक घटनाओं से अधिक उनकी मानवतावादी दृष्टिकोण, गौ रक्षा संस्कृति, मातृभूमि प्रेम, सर्वधर्म समभाव, नारी उत्थान एवं पर्यावरण संरक्षण आदि के क्षेत्र में उनका अतुलनीय योगदान, करणी माता से जुड़ी सभी घटनाओं के साथ-साथ इतिहास के पन्नों में छिपी उनकी शिक्षाओं एवं संदेशों आदि को नए रूप में प्रस्तुत किया। जिसके कारण करणी माता लोक देवी के रूप में प्रतिस्थापित हुई। Karni Mata – Deviyan Hariras
accordingly कहा जाता है कि शादी के एक समय बाद माता करणी का सांसारिक जीवन से मन ऊब गया, जिसके बाद उन्होंने अपना सारा जीवन भक्ति और सामाजिक सेवा में लगा दिया। जानकारों का मानना है कि माता करणी 151 साल तक जीवित रहीं, और ज्योतिर्लिंग में परिवर्तित हो गईं।
भक्त कवि ईसरदास बारहठ प्रणीत – देवियांण एवं छोटा हरिरस
देवियांण एवं हरिरस महात्मा ईसरदास बारहट की अमर रचनाएँ हैं। surely भक्त-कवि ईसरदास की मान्यता राजस्थान एवं गुजरात में एक महान संत के रूप में रही है। इनका जन्म बाडमेर (राजस्थान) के भादरेस गाँव में वि. सं. 1515 में हुआ था। पिता सुराजी रोहड़िया शाखा के चारण थे एवं भगवान् श्री कृष्णके परम उपासक थे। जन मानस में भक्त कवि ईसरदास का नाम बडी श्रद्घा और आस्था से लिया जाता है। इनके जन्मस्थल भादरेस में भव्य मन्दिर इसका प्रमाण हैं, जहॉ प्रति वर्ष बडा मेला लगता हैं। ईसरदास प्रणीत भक्ति रचनाओं में हरिरस, बाल लीला, छोटा हरिरस, गुण भागवतहंस, देवियांण, रास कैला, सभा पर्व, गरूड पुराण, गुण आगम, दाण लीला प्रमुख हैं।
also सन्त शिरोमणि भक्त प्रवर महाकवि ईसरदास जी बारहठ रचित काव्य ग्रन्थ ‘हरि-रस’ निसन्देह डिंगल का सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्य ग्रन्थ होने के साथ-साथ धार्मिक दृष्टि से भी गीता से कम नहीं हैं। तभी तो उत्तरी भारत में धार्मिक आयोजनों में इसका पठन पाठन करने के अतिरिक्त मरणासन्न व्यक्ति को ‘हरि-रस’ का पाठ सुनाने से उसको मोक्ष प्राप्त होता है, ऐसी मान्यता है।
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